आपदा प्रबंधन :बिना भोजन पानी जीवित रहने के उपाय !!
आपदा प्रबंधन :प्रतिकूल परिस्थितियों में स्वस्थ/जीवित रहने के उपाय !
मित्रों आप जानते ही है कि मेरे लेखन का विषय मेरे आध्यात्मिक अनुभव है फिर आपदा प्रबंधन का मेरे विषय से क्या सम्बन्ध ? मैं आपसे कहना चाहूँगा कि मेरे अध्यात्म का सम्बन्ध हमारे दैनिक जीवन के आनंद से है , एक अच्छा जीवन जीने से है अर्थात जीवन की मुश्किलों को आसन करने से है ऐसे में आपदा प्रबंधन के सम्बन्ध में मुझे जो ज्ञान है उसे आपसे बाँटना मेरा दायित्व हो जाता है अब तक एक आनंदित जीवन के लिए मैं अपने अध्यात्मिक अनुभव आपसे बांटता रहा हूँ अब कठिन परिस्थितियों में जीवित रहने के बारे में मुझे जो ज्ञान है, उसे आपके साथ बाटूंगा
मित्रो !मैं दो परिस्थितियों के बारे में आपसे विचार करने को कहूँगा
१.कल्पना कीजिये कि आप किन्ही कारणों से एक ऐसे स्थान पर फस गए है जहाँ आपके पास खाने की वस्तुएं नहीं है और वहां से निकल पाने या बाहरी सहायता पहुँचने में अनिश्चित समय लग सकता है तो ऐसी स्थिति में कई दिनों तक बिना भोजन के आप किस प्रकार स्वस्थ/ जीवित रहेंगे ?
२.एक अन्य स्थिति पर विचार करें जब बहुत बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए हों ,चिकित्सकीय सहायता पहुँचने में बहुत समय लगना हो , ऐसे में आप क्या कर सकते है ?
पहली स्थिति : मुझे कई वर्ष पूर्व रूस की एक आतंकवादी घटना याद आती है जब आतंकवादियों ने एक स्कूल पर कब्ज़ा कर लिया था और स्कूल के बच्चों और अन्य व्यक्तियों को कई दिन भूखे प्यासे बंधक बना कर रखा था सम्बन्धित घटनाओं को TV पर काफी दिखाया गया था इस पूरे घटनाक्रम में अंत में सैनिक कार्यवाही की गई आतंकवादियों के साथ कई बंधक भी मारे गए , लेकिन अधिकांश बचा लिए गए बचाए गए बच्चों में से एक लड़की से की गई बात चीत TV पर दिखाई गई उसने बताया कि उसकी माँ ने उसे समझाया था कि वह एक साफ़ बोतल अपने साथ रखे और जब भी उसे urine लगे , बोतल में इकठ्ठा कर के पी जाये उस लड़की ने ऐसा ही किया , मुझे विश्वास है कि वहां बहुत से लोगों ने बिना खाने और पानी के इसी प्रकार अपने जीवन की रक्षा की होगी शिवाम्बु (स्वमूत्र) चिकित्सा पद्धति के विषय में काफी पुस्तकें बाज़ार में है और काफी जानकारी इन्टरनेट पर भी मौजूद है मैं स्पष्ठ करना चाहूँगा कि मेरे लेख का विषय शिवाम्बु (स्वमूत्र) चिकित्सा पद्धति नहीं है हमारे पास अपनी चिकित्सा के लिए बहुत सारे विकल्प मौजूद है उनमें से एक (स्वमूत्र) चिकित्सा पद्धति भी ही लेकिन आपदा प्रबंधन के सन्दर्भ में हमारे पास स्वमूत्र के अलावा कोई विकल्प नहीं है मित्रों मैं (स्वमूत्र) चिकित्सा पद्धति का प्रचारक नहीं हूँ लेकिन आपदा प्रबंधन के सम्बन्ध में स्वमूत्र की इन विशेषताओ के बारे आपको बताना चाहूँगा
पीने हेतु स्वमूत्र सदैव ताज़ा ही प्रयोग करना चाहिए प्रातः कालीन स्वमूत्र सर्वोत्तम माना गया है स्वमूत्र पान के मानव शरीर पर निम्न प्रभाव पड़ते है:~
१. प्रातः कालीन स्वमूत्र रेचक गुणों से परिपूर्ण होता है , अधिक मात्रा में एकदम से लेने पर दस्त आ जाते है
२.शरीर में एकत्र दूषित पदार्थों का निष्कासन करता है
३.पाचन क्रिया को धीमा कर देता है जिसके कारण शरीर की भोजन आवश्यकताएं कम हो जाती है
४.भूख का अनुभव नहीं होता है
५.स्वमूत्र में विभिन्न प्रकार के लवण व् रसायन पाए जाते है जिनसे शरीर को शक्ति प्राप्त होती रहती है और कमजोरी नहीं लगती
किसी ऐसी आपदा की स्थिति में जब भोजन वस्तुएं उपलब्ध न हो या बहुत कम मात्रा में उपलब्ध हों स्वमूत्र पान के द्वारा लम्बे समय तक स्वस्थ अवस्था में जीवित रहा जा सकता है
दूसरी स्थिति: यह स्थिति एक दुर्घटना की स्थिति है जब लोग घायल है और उन्हें प्राथमिक चिकित्सा की आवश्यकता है मित्रों शायद आपको पता हो कि गाँव देहात के लोग और बच्चे भी इस स्थिति में मूत्र उपचार के विषय काफी कुछ जानते है जबकि शहर के बहुत कम लोग इस बारे में जानते है मुझे लगता है कि वतर्मान समय के शहरी बच्चे इस विषय बिलकुल भी नहीं जानते चोट लग जाने पर मानव मूत्र को सीधे ही या किसी पात्र में लेकर प्रयोग किया जा सकता है चोट लगे स्थान पर मानव मूत्र के निम्न प्रभाव होते है
१. चोट के कारण हो रही पीड़ा कम हो जाती है और कभी कभी बिलकुल ही समाप्त हो जाती है
२.मानव मूत्र सर्वश्रेष्ठ जीवाणु नाशक है ,टिटनेस या अन्य किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन की संभावनाएं नहीं रह जाती है
३.यदि चोट के कारण रक्तस्राव हो रहा हो उस स्थान पर धीरे धीरे मानव मूत्र डालने से रक्तस्राव रुक जाता है
४.चोट के कारण क्षतिग्रस्त तन्तुओं को repair करने में तत्काल ही सहायता पहुँचने लगती है, सूजन नहीं होने पाती है या कम होती है
मित्रों उक्त सभी जानकारियां किताबी जानकारी नहीं है पिछले बारह वर्षों में मेरे द्वारा स्वनुभव से आजमाई गई जानकारियां ही मैंने आप सबके लिए प्रस्तुत की है इस पोस्ट पर हमेशा की तरह आप सबकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है किन्तु इधर कुछ दिनों किन्ही कारणों से व्यस्तता अधिक रहेगी जिसे कारण उत्तर देने में देर हो सकती है आशा है कि इस कारण कोई भी नाराज़ नहीं होगा एक बात और जो मित्र शिवाम्बु चिकित्सा के विषय में अधिक जानना चाहते है वे नीचे दिए गए लिंक का प्रयोग करके पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर सकते है
***शुभकामनाओं सहित ***
डैनियल कुमार सिंह
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